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गुरु राहु चांडाल दोष को दूर करता है यह ब्रेसलेट
राहु–चांडाल दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो तब बनता है जब राहु और बृहस्पति एक ही राशि या भाव में स्थित होते हैं। इसे अशुभ माना जाता है और इसके कई प्रभाव हो सकते हैं। नीचे राहु–चांडाल दोष के कुछ मुख्य प्रभाव बताए गए हैं:
राहु–चांडाल दोष के प्रभाव:
- शिक्षा और बुद्धिमत्ता पर असर: इस दोष के कारण व्यक्ति की शिक्षा में रुकावटें आ सकती हैं और निर्णय क्षमता में कमी हो सकती है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक विकास में बाधा: व्यक्ति का आध्यात्मिक झुकाव कमजोर हो सकता है और कभी–कभी गलत कार्यों में संलिप्त हो सकता है।
- कैरियर और नौकरी में समस्याएं: राहु–चांडाल दोष से कैरियर में उतार–चढ़ाव और बार–बार नौकरी बदलने की स्थिति बन सकती है।
- व्यक्तिगत जीवन में संघर्ष: रिश्तों में तनाव, मानसिक तनाव और आपसी गलतफहमी का सामना करना पड़ सकता है।
- आर्थिक समस्याएं: व्यक्ति को आर्थिक मामलों में हानि हो सकती है या पैसे की कमी का अनुभव कर सकता है।
राहु–चांडाल दोष से निवारण के उपाय:
बृहस्पति और केतु की मदद से गुरु चांडाल दोष की शांति की जा सकती है, इसलिए सुनहला जो की बृहस्पति का रत्न है और लहसुनिआ केतु का रत्न है।
दोनों को एक साथ मिलकर पहनने से बृहस्पति को मजबूती मिलती है और राहु के दोष भी दूर होते हैं, क्योंकि केतु बृहस्पति का चेला है और राहु का ही हिस्सा है।
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